विविधा

विविधा : हिंदी की साहित्यिक पत्रिका

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Sunday, February 21, 2016

कुण्डलिया संग्रह 'शिष्टाचारी देश में' का लोकार्पण


 
इगलास , 13 फरवरी|
संस्कार भारती, साहित्य मंच और नगर पंचायत, इगलास के संयुक्त तत्वावधान में बसंत पंचमी को आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम में कवि तोताराम 'सरस' के कुण्डलिया संग्रह 'शिष्टाचारी देश में' का लोकार्पण सुपरिचित कुण्डलियाकार एवं साहित्यकार त्रिलोक सिंह ठकुरेला द्वारा किया गया।
पं. शिव दत्त शर्मा की अध्यक्षता में कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। आगरा से पधारीं कवियित्री मीना शर्मा ने सरस्वती वंदना की। त्रिलोक सिंह ठकुरेला ने अपने विचार रखते हुए कहा कि साहित्य मनुष्य जीवन की आवश्यकताओं में से एक है। साहित्य ही सही अर्थों में किसी व्यक्ति को मनुष्य बनाता है तथा समृद्ध साहित्य ही सशक्त समाज का निर्माण करता है।
ग़ाफ़िल स्वामी द्वारा तोताराम 'सरस' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया। इस अवसर पर ब्रज-भाषा के चर्चित कवि राधागोविंद पाठक और साहित्यकार त्रिलोक सिंह ठकुरेला को साहित्य मंच ,इगलास की और से सम्मानित भी किया गया। डॉ. सियाराम वर्मा और पं. शिव दत्त शर्मा द्वारा दोनों साहित्यकारों को माल्यार्पण , शॉल एवं स्मृति -चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
बसंत पंचमी के उपलक्ष्य में आयोजित कवि सम्मलेन में राधागोविंद पाठक, सुनहरी लाल वर्मा 'तुरंत' ,मनोज फगवाड़वी, प्रदीप पंडित, प्रभुदयाल दीक्षित, मणिमधुकर 'मूसल', मीना शर्मा, मनु दीक्षित, त्रिलोक सिंह ठकुरेला, बनवारी लाल 'पुष्प', श्रीप्रकाश 'सृजन', प्यारे लाल 'शांत', श्याम बाबू 'चिंतन', ग़ाफ़िल स्वामी, ब्रजेश पंडित, तोताराम 'सरस', विजय प्रकाश भारद्वाज, दीपेश 'बिल्टू', प्रमोद गोला, कुमार अनुपम, पुनीत प्रकाश भारद्वाज, आकाश धनकर और डॉ. सियाराम वर्मा ने अपनी रचनाएँ सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष पं. शिव दत्त शर्मा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।


Monday, November 30, 2015

विश्व के 66 रचनाकारों द्वारा लिखे गए उपन्यास "खट्टे मीठे रिश्ते" का लोकार्पण

संजय कुमार गिरि 
नयी दिल्ली, 29 नवम्बर| विश्व हिंदी संस्थान कनाडा.के संस्थापक प्रो.सरन घई द्वारा संपादित उपन्यास "खट्टे मिट्ठे-रिश्ते" का लोकार्पण रेलवे ऑफिसर्स क्लब पी के मार्ग, नई दिल्ली में "युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच " के बनैर तले आयोजित किया गया ! इस अनूठे उपन्यास को विश्व के 66 रचनाकारों द्वारा लिखा गया है ! मंच की अध्यक्षता प्रो.विश्वम्भर शुक्ल ने की मुख्य अतिथि प्रो सरन घई एवं विशिष्ट अतिथि श्याम नंदा नूर एवं रमेश सिद्धार्थ रहे !
प्रो.सरन घई ने अपने वक्तव्य में कहा कि रिश्ते मेरे लिए कोतुहाल का विषय रहे हैं, परिवारों में रिश्तेदारों को एक दूसरे के लिए अपनी जान तक कुर्बान करते देखा है और भाई-भाई को जमीन जायजाद के लिए लड़ते हुए भी देखा है, बहु को पूरे परिवार की सेवा करते भी देखा है और सासों को सांस लेना भी मुहाल करते देखा और इसके विपरीत सास को बुढापे में खटते हुए भी देखा है और बहु को सिंघासन पर विराजमान होकर हुकुम देते हुए भी देखा है कहने का तात्पर्य यह है कि मैंने रिश्तों के कई रंग देखे हैं तो सोचा क्यूँ न इक परिवार ऐसा भी बनाया जाए जो विश्व के विभिन्न कोनो में बैठा हो और कोई किसी को जानता तक न हो और न पहचानता हो फिर भी एक परिवार का अंग, सच्चा रिश्तेदार बने, इन रिश्तेदारों को खोजने का माध्यम मैंने फेसबुक को चुना और रच दिया एक इतिहास जो इससे पहले कभी नहीं हुआ वह मैंने विश्व के 66 रचनाकारों द्वारा विश्व का एक अनूठा उपन्यास "खट्टे मीठे रिश्ते" ! 
प्रो .सरन घई ने इसको अपनी वैश्विक पहचान दिलवाने के लिए "गिनिस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकोर्ड" के अधिकारियों को भी लिख चुके हैं इस अवसर पर 66 रचनाकारों में से कुछ रचनाकारों को सम्मान पत्र एवं पुष्पमाला पहना कर सम्मानित भी किया गया जिनमें डॉ दमयन्ती शर्मा "दीपा", पीयूष कुमार द्विवेदी "पुतू", डॉ.पुष्पा जोशी, आरती शर्मा, निर्देश शर्मा, सुरेश पाल वर्मा, संजय कुमार गिरि, ओम प्रकाश शुक्ल प्रमुख रूप से उपस्थित थे !

Saturday, October 17, 2015

महेन्द्र जैन के बाल काव्य संग्रह 'हंसते और हंसाते जाना' का लोकार्पण

काव्य गोष्ठी का भी आयोजन

हिसार, 17 अक्तूबर (सुमन जैन सत्यगीता)| चन्दनबाला जैन साहित्य मंच के तत्वावधान में सैक्टर-13 स्थित जैन सदन के प्रांगण में गजलकार व बाल साहित्यकार महेन्द्र जैन के तीसरे बाल काव्य संग्रह 'हंसते और हंसाते जाना' का लोकार्पण नगर के वरिष्ठ साहित्यकारों व गुडग़ांव से पधारे एन.आर.सी. के पूर्व निदेशक डॉ. शैलेन्द्र द्विवेदी के कर-कमलों द्वारा हुआ। राज्यकवि उदयभानु हंस के सान्निध्य व अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. शैलेन्द्र द्विवेदी थे तथा द्विवेदी जी की धर्मपत्नी उषा द्विवेदी व एन.आई.सी. के टैक्नीकल डायरेक्टर एम.पी. कुलश्रेष्ठ विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
कार्यक्रम संचालिका सुमन जैन सत्यगीता ने बताया कि इस अवसर पर द्विवेदी दम्पति के सम्मान में काव्य गोष्ठी का आयोजन भी किया गया जिसमें नगर के लगभग सभी वरिष्ठ रचानाकारों ने शिरकत की। डॉ. राधेश्याम शुक्ल की रचना की एक बानगी देखिए - 'ईंट पत्थर के शहर को हम, आदमी का शहर बनने दें।' प्रो. रघुवीर अनाम की गजल ने खूब वाहवाही लूटी - 'कोई किसी आवाज को पहचानता नहीं। अब आदमी को आदमी से वास्ता नहीं।' प्रो. कुमार रवीन्द्र ने अपने नवगीत की छटा यूँ बिखेरी- 'दूरदृष्टि से देख रहे हम घटनाओं की यही समस्या है। पोस रहे हम उल्टी-सीधी इच्छाओं को यही समस्या है।' राज्य कवि उदयभानु हंस ने भी अपने सामाजिक दायित्व को निभाते हुए गजल के माध्यम से कहा- 'मैं न मन्दिर न मस्जिद गया। कोई पोथी न बांची कभी। एक दुखिया के आंसू चुने। बस मेरी बन्दगी हो गई।' काव्य अनुरागी एम.पी. कुलश्रेष्ठ के गीत को भी खूब सराहा गया- 'मैं वहीं पर खड़ा तुमको मिल जाउंगा। जिस जगह जाओगे तुम मुझे छोडक़र।' प्रिंसीपल आई.जे. नाहल के व्यंग्यात्मक स्वर की गूंज देखिए- 'बिकाऊ लोगों की मंडी में टिकाऊ लोगों को ढूंढ रहा।' महेन्द्र जैन ने अपनी गजल के माध्यम से खुद को देश पर समर्पित करते हुए कहा- 'मेरे नाम सारे तू इल्जाम लिख दे। मुझे गम नहीं चाहे बदनाम लिख दे। है जिसकी अमानत उसी को समर्पित। मेरी जिन्दगी देश के नाम लिख दे।' सुमन जैन सत्यगीता ने भी सस्वर गजल गायन किया- 'मिलती जन्नत तो नहीं है बाद मरने के कभी। जीते-जी मर जाइए अब बात ये अच्छी लगी।'
इस अवसर पर रंजीत सिंह टाडा, विनोद शंकर गुप्त, ममता शर्मा, सरताज सिंह मुसाफिर, प्रीति जैन, साकेत जैन व हिना जैन भी उपस्थित रहे।

Monday, August 10, 2015

'कुण्डलिया संचयन' का प्रकाशन

आधुनिक छंद मुक्त कविता के दौर में प्राचीन भारतीय छंदों का चलन जैसे बीते युग की बात हो चला था| ऐसे में प्राचीन भारतीय छंदों को पुनर्जीवन प्रदान कर उन्हें पुनर्स्थापित करने में कई साहित्यकार बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं| त्रिलोक सिंह ठकुरेला सुपरिचित कुण्डलियाकार हैं। इन्होंने कुण्डलिया छंद के उन्नयन के लिए 'कुण्डलिया छंद के सात हस्ताक्षर' और 'कुण्डलिया-कानन' का सम्पादन किया है। अब श्री त्रिलोक सिंह ठकुरेला द्वारा सम्पादित तीसरा कुण्डलिया संकलन 'कुण्डलिया संचयन' निकट भविष्य में साहित्यजगत के समक्ष होगा | कुण्डलिया संकलन 'कुण्डलिया संचयन' में सर्वश्री अशोक कुमार रक्ताले , डा.जगन्नाथ प्रसाद बघेल , डा.ज्योत्स्ना शर्मा ,परमजीत कौर 'रीत' ,डा. प्रदीप शुक्ल , महेंद्र कुमार वर्मा ,राजेंद्र बहादुर सिंह 'राजन' ,राजेश प्रभाकर , शिवानंद सिंह 'सहयोगी' , शून्य आकांक्षी , साधना ठकुरेला , हातिम जावेद , हीरा प्रसाद 'हरेंद्र' और त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कुण्डलियां संकलित हैं|

डॉ.यायावर दुबई में सम्मानित

अन्तरराष्ट्रीय साहित्य कला मंच का तीसवां वार्षिक समारोह दुबई में 5 जून से 9 जून तक आयोजित हुआ| जिसमें 6 जून को सरस्वती सभागार दुबई ग्रैंड होटल दुबई में डॉ.राम सनेहीलाल शर्मा 'यायावर' को सम्मानित कर "साहित्य श्री" की मानद उपाधि प्रदान की गई|
समारोह के दौरान 'विश्व पटल पर हिंदी' विषय पर संगोष्ठी हुयी जिसका सफल सञ्चालन डॉ. यायावर ने किया| संगोष्ठी में भारत के 10 प्रदेशों के अलावा 6 अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने भी अपने आलेख प्रस्तुत करते हुए हिंदी को भविष्य की भाषा बताया|
संगोष्ठी में डॉ.पूर्णिमा वर्मन मुख्यातिथि थीं और अध्यक्षता डॉ.रामावतार शर्मा ने की| इस अवसर पर अमेरिका के प्राण जग्गी और मेजर शेर बहादुर विशिष्ठ अतिथि थे| दुबई के मुख्या वक्ता डॉ.त्रिलोक नाथ थे|
6 जून को मंच के संस्थापक अध्यक्ष डॉ.महेश दिवाकर के सञ्चालन में विभिन्न साहित्यकारों को सम्मानित किया गया| डॉ. यायावर को उनकी साहित्य साधना के उपलक्ष्य में 'साहित्य श्री' की मानद उपाधि प्रदान करके सम्मानित किया गया|
उल्लेखनीय है कि डॉ यायावर की अब तक 21 मौलिक और 10 सम्पादित कृतिया प्रकाशित हो चुकी हैं| शताधिक कृतियों में उनकी लेखकीय सहभागिता है|

Thursday, June 21, 2012

राजेश प्रभाकर की कृति एक चेहरा का लोकार्पण

नारनौल के कवि राजेश प्रभाकर के प्रथम कविता संग्रह "एक चेहरा" का लोकार्पण मुरादाबाद की मशहूर शायरा डॉ.मीना नकवी, हरियाणा ग्रन्थ अकादमी के उपाध्यक्ष कमलेश भारतीय, कथाकार रत्नकुमार सम्भारिया, कथाकार दोहाकार कृष्णलता यादव आदि ने किया| 
इस अवसर पर रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ के साहित्यकार और शिक्षाविद उपस्थित थे| 
प्रभाकर की इस कृति में नारी के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है|
नारनौल के कवि राजेश प्रभाकर के प्रथम कविता संग्रह "एक चेहरा" का लोकार्पण मुरादाबाद की मशहूर शायरा डॉ.मीना नकवी, हरियाणा ग्रन्थ अकादमी के उपाध्यक्ष कमलेश भारतीय, कथाकार रत्नकुमार सम्भारिया, कथाकार दोहाकार कृष्णलता यादव आदि ने किया| 
इस अवसर पर रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ के साहित्यकार और शिक्षाविद उपस्थित थे| 
प्रभाकर की इस कृति में नारी के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है|
नारनौल के कवि राजेश प्रभाकर के प्रथम कविता संग्रह "एक चेहरा" का लोकार्पण मुरादाबाद की मशहूर शायरा डॉ.मीना नकवी, हरियाणा ग्रन्थ अकादमी के उपाध्यक्ष कमलेश भारतीय, कथाकार रत्नकुमार सम्भारिया, कथाकार दोहाकार कृष्णलता यादव आदि ने किया| 
इस अवसर पर रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ के साहित्यकार और शिक्षाविद उपस्थित थे| 
प्रभाकर की इस कृति में नारी के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है|

Sunday, February 12, 2012

बाबूजी का भारतमित्र के सितम्बर, 2011 अंक का लोकार्पण

बाबूजी का भारतमित्र पत्रिका के सितम्बर, 2011 अंक का लोकार्पण KLP कॉलेज रेवाड़ी में हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ.श्यामसखा श्याम, पूर्व निदेशक डॉ.चन्द्र त्रिखा, दैनिक ट्रिब्यून के सम्पादक नरेश कौशल और पूर्व सम्पादक विजय सहगल ने बाबू बालमुकुन्द गुप्त स्मृति महोत्सव के दौरान किया| समारोह का आयोजन बाबू बालमुकुन्द गुप्त पत्रकारिता एवम साहित्य संरक्षण परिषद् रेवाड़ी द्वारा किया गया| इस अवसर पर प्रदेशभर के साहित्यकार-पत्रकार मौजूद रहे| 
पत्रिका का प्रकाशन नीरपुर, नारनौल से होता है और इसके संपादक हैं रघुविन्द्र यादव| 
पत्रिका के इस अंक में दोहे, गज़लें, कवितायेँ, लघुकथाएं, पुस्तक समीक्षाएं और बहुत सी अन्य पठनीय सामग्री है| 

Sunday, February 5, 2012

रघुविन्द्र यादव को तृतीय पुरस्कार

ओपन बुक्स ऑनलाइन द्वारा आयोजित चित्र से काव्य प्रतियोगिता में हरियाणा के दोहाकार रघुविन्द्र यादव को तृतीय पुरस्कार मिला|  
राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन आयोजित इस प्रतियोगिता में देशभर के रचनाकारों ने भाग लिया और अपनी रचनाएं प्रस्तुत की| निर्णायक मंडल ने सभी रचनाओं का अवलोकन करने उपरांत श्री अरुण निगम की रचना को प्रथम और रघुविन्द्र यादव की रचना को तीसरा स्थान प्रदान किया|
श्री यादव को नगद पुरस्कार के साथ प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया जाएगा| रघुविन्द्र यादव हरियाना के एकमात्र युवा कवि हैं जिनकी दोहाकार के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान है| वे बाबूजी का भारतमित्र नामक साहित्यिक पत्रिका के संपादक हैं और उनकी दोहा कृति "नागफनी के फूल" बेहद चर्चित रही है|

http://www.bhaskar.com/article/HAR-OTH-1793857-2814840.html

ओपन बुक्स ऑनलाइन द्वारा आयोजित चित्र से काव्य प्रतियोगिता में हरियाणा के दोहाकार रघुविन्द्र यादव को तृतीय पुरस्कार मिला|  
राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन आयोजित इस प्रतियोगिता में देशभर के रचनाकारों ने भाग लिया और अपनी रचनाएं प्रस्तुत की| निर्णायक मंडल ने सभी रचनाओं का अवलोकन करने उपरांत श्री अरुण निगम की रचना को प्रथम और रघुविन्द्र यादव की रचना को तीसरा स्थान प्रदान किया|
श्री यादव को नगद पुरस्कार के साथ प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया जाएगा| रघुविन्द्र यादव हरियाना के एकमात्र युवा कवि हैं जिनकी दोहाकार के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान है| वे बाबूजी का भारतमित्र नामक साहित्यिक पत्रिका के संपादक हैं और उनकी दोहा कृति "नागफनी के फूल" बेहद चर्चित रही है|

Monday, January 9, 2012

रघुविन्द्र यादव को ढंड स्मृति सम्मान

लालसोट जिला दौसा (राजस्थान) की साहित्यिक संस्था   "अनुराग सेवा संसथान  " की ओर से हरियाणा के चर्चित दोहाकार रघुविन्द्र यादव को "स्वर्गीय श्यामसुंदर ढंड स्मृति सम्मान प्रदान करते राजस्थान के सहकारिता और खाद्य एवम आपूर्ति मंत्री परसादी लाल मीना, साहित्यकार गोपाल प्रसाद मुदगिल, तारादत्त निर्विरोध.सम्मान में शाल, स्मृति चिन्ह, 1100  रूपए, प्रशस्ति पत्र और श्रीफल प्रदान किये गए|
उल्लेखनीय है कि श्री यादव की चर्चित कृति 'नागफनी के फूल' को इस बार संस्था ने इस पुरस्कार के लिए चुना है| इससे पहले भी श्री यादव की इस कृति को रेवाड़ी के संस्था 5100 रूपये का पुरूस्कार दे चुकी है|  8-01-2012


लालसोट जिला दौसा (राजस्थान) की साहित्यिक संस्था   "अनुराग सेवा संसथान  " की ओर से हरियाणा के चर्चित दोहाकार रघुविन्द्र यादव को "स्वर्गीय श्यामसुंदर ढंड स्मृति सम्मान प्रदान करते राजस्थान के सहकारिता और खाद्य एवम आपूर्ति मंत्री परसादी लाल मीना, साहित्यकार गोपाल प्रसाद मुदगिल, तारादत्त निर्विरोध.सम्मान में शाल, स्मृति चिन्ह, 1100  रूपए, प्रशस्ति पत्र और श्रीफल प्रदान किये गए|
उल्लेखनीय है कि श्री यादव की चर्चित कृति 'नागफनी के फूल' को इस बार संस्था ने इस पुरस्कार के लिए चुना है| इससे पहले भी श्री यादव की इस कृति को रेवाड़ी के संस्था 5100 रूपये का पुरूस्कार दे चुकी है|  8-01-2012

लालसोट जिला दौसा (राजस्थान) की साहित्यिक संस्था   "अनुराग सेवा संसथान  " की ओर से हरियाणा के चर्चित दोहाकार रघुविन्द्र यादव को "स्वर्गीय श्यामसुंदर ढंड स्मृति सम्मान प्रदान करते राजस्थान के सहकारिता और खाद्य एवम आपूर्ति मंत्री परसादी लाल मीना, साहित्यकार गोपाल प्रसाद मुदगिल, तारादत्त निर्विरोध.सम्मान में शाल, स्मृति चिन्ह, 1100  रूपए, प्रशस्ति पत्र और श्रीफल प्रदान किये गए|
उल्लेखनीय है कि श्री यादव की चर्चित कृति 'नागफनी के फूल' को इस बार संस्था ने इस पुरस्कार के लिए चुना है| इससे पहले भी श्री यादव की इस कृति को रेवाड़ी के संस्था 5100 रूपये का पुरूस्कार दे चुकी है|  8-01-2012

Saturday, November 5, 2011

नागफनी के फूल का लोकार्पण

हरियाणा के चर्चित दोहाकार रघुविन्द्र यादव के दोहा संग्रह "नागफनी के फूल" का लोकार्पण 18 अप्रैल, 2011 को बाबू बालमुकुन्द गुप्त पत्रकारिता अवम साहित्य संरक्षण परिषद् द्वारा SVN स्कूल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में हरियाणा साहित्य अकादमी की निदेशक डॉ. मुक्ता, कुलगुरु स्वामी शरणानन्द जी महाराज, स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समिति के अध्यक्ष हरिराम आर्य, उप जिला प्रमुख सुनीता वर्मा आदि ने  किया| इस अवसर पर प्रदेश भर से आये साहित्यकार और कलमकार उपस्थित थे| 

हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से इस अवसर पर एक हरियाणवी कवि सम्मलेन का भी आयोजन किया गया| विद्यालय की प्रबंधक श्रीमती कान्ता यादव के सभी मेहमानों का धन्यवाद किया|


हरियाणा के चर्चित दोहाकार रघुविन्द्र यादव के दोहा संग्रह "नागफनी के फूल" का लोकार्पण 18 अप्रैल, 2011 को बाबू बालमुकुन्द गुप्त पत्रकारिता अवम साहित्य संरक्षण परिषद् द्वारा SVN स्कूल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में हरियाणा साहित्य अकादमी की निदेशक डॉ. मुक्ता, कुलगुरु स्वामी शरणानन्द जी महाराज, स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समिति के अध्यक्ष हरिराम आर्य, उप जिला प्रमुख सुनीता वर्मा आदि ने  किया| इस अवसर पर प्रदेश भर से आये साहित्यकार और कलमकार उपस्थित थे| 

हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से इस अवसर पर एक हरियाणवी कवि सम्मलेन का भी आयोजन किया गया| विद्यालय की प्रबंधक श्रीमती कान्ता यादव के सभी मेहमानों का धन्यवाद किया|

हरियाणा के चर्चित दोहाकार रघुविन्द्र यादव के दोहा संग्रह "नागफनी के फूल" का लोकार्पण 18 अप्रैल, 2011 को बाबू बालमुकुन्द गुप्त पत्रकारिता अवम साहित्य संरक्षण परिषद् द्वारा SVN स्कूल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में हरियाणा साहित्य अकादमी की निदेशक डॉ. मुक्ता, कुलगुरु स्वामी शरणानन्द जी महाराज, स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समिति के अध्यक्ष हरिराम आर्य, उप जिला प्रमुख सुनीता वर्मा आदि ने  किया| इस अवसर पर प्रदेश भर से आये साहित्यकार और कलमकार उपस्थित थे| 

हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से इस अवसर पर एक हरियाणवी कवि सम्मलेन का भी आयोजन किया गया| विद्यालय की प्रबंधक श्रीमती कान्ता यादव के सभी मेहमानों का धन्यवाद किया|

Sunday, October 9, 2011

राजस्थान में रघुविन्द्र यादव का सम्मान

बाबा खेतानाथ विद्यापीठ भिटेडा (बहरोड़- राजस्थान) में हरियाणा के चर्चित दोहाकार रघुविन्द्र  यादव का संस्थान की ओर से अभिनन्दन किया गया| रघुविन्द्र यादव की साहित्य सेवाओं के मध्यनज़र उन्हें सम्मानित किया गया|
संस्थान के निदेशक और साहित्यकार डॉ.उमाशंकर यादव  ने श्री यादव की साहित्यिक उपलब्धियों की चर्चा की और उन्हें पगड़ी पहनाकर और शाल ओढ़कर सम्मानित किया|
इस अवसर पर काव्य पाठ का आयोजन भी किया गया, जिसमें श्री रघुविन्द्र यादव के अलावा श्री राजेश प्रभाकर ने भी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की| कार्यक्रम में संस्थान के विद्यार्थी और शिक्षक मौजूद थे| 

बाबा खेतानाथ विद्यापीठ भिटेडा (बहरोड़- राजस्थान) में हरियाणा के चर्चित दोहाकार रघुविन्द्र  यादव का संस्थान की ओर से अभिनन्दन किया गया| रघुविन्द्र यादव की साहित्य सेवाओं के मध्यनज़र उन्हें सम्मानित किया गया|
संस्थान के निदेशक और साहित्यकार डॉ.उमाशंकर यादव  ने श्री यादव की साहित्यिक उपलब्धियों की चर्चा की और उन्हें पगड़ी पहनाकर और शाल ओढ़कर सम्मानित किया|
इस अवसर पर काव्य पाठ का आयोजन भी किया गया, जिसमें श्री रघुविन्द्र यादव के अलावा श्री राजेश प्रभाकर ने भी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की| कार्यक्रम में संस्थान के विद्यार्थी और शिक्षक मौजूद थे| 

बाबा खेतानाथ विद्यापीठ भिटेडा (बहरोड़- राजस्थान) में हरियाणा के चर्चित दोहाकार रघुविन्द्र  यादव का संस्थान की ओर से अभिनन्दन किया गया| रघुविन्द्र यादव की साहित्य सेवाओं के मध्यनज़र उन्हें सम्मानित किया गया|
संस्थान के निदेशक और साहित्यकार डॉ.उमाशंकर यादव  ने श्री यादव की साहित्यिक उपलब्धियों की चर्चा की और उन्हें पगड़ी पहनाकर और शाल ओढ़कर सम्मानित किया|
इस अवसर पर काव्य पाठ का आयोजन भी किया गया, जिसमें श्री रघुविन्द्र यादव के अलावा श्री राजेश प्रभाकर ने भी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की| कार्यक्रम में संस्थान के विद्यार्थी और शिक्षक मौजूद थे| 

Sunday, September 18, 2011

रघुविंदर यादव को साहित्य का " बाबू बालमुकुन्द गुप्त पुरस्कार"

रघुविंदर यादव को साहित्य का " बाबू बालमुकुन्द गुप्त पुरस्कार" प्रदान करते हरियाणा साहित्य अकेडमी के निदेशक श्यामसखा श्याम, स्वतंत्रता सेनानी समिति के अध्यक्ष हरिराम आर्य, दैनिक ट्रिब्यून के संपादक नरेश कौशल और गुप्त जी के पौत्र विमल गुप्त.पुरस्कार में 5100 रूपये, शाल, स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र दिए गए|   
2. "बाबूजी का भारतमित्र" पत्रिका का आज लोकार्पण हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक श्यामसखा श्याम ने हरियाणा स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समिति के अध्यक्ष हरिराम आर्य, दैनिक ट्रिब्यून के संपादक नरेश कौशल, साहित्यकार M.L.मैत्रये और डॉ.चन्द्र तिरखा की उपस्थिति में किया|

रघुविंदर यादव को साहित्य का " बाबू बालमुकुन्द गुप्त पुरस्कार" प्रदान करते हरियाणा साहित्य अकेडमी के निदेशक श्यामसखा श्याम, स्वतंत्रता सेनानी समिति के अध्यक्ष हरिराम आर्य, दैनिक ट्रिब्यून के संपादक नरेश कौशल और गुप्त जी के पौत्र विमल गुप्त.पुरस्कार में 5100 रूपये, शाल, स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र दिए गए|   
2. "बाबूजी का भारतमित्र" पत्रिका का आज लोकार्पण हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक श्यामसखा श्याम ने हरियाणा स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समिति के अध्यक्ष हरिराम आर्य, दैनिक ट्रिब्यून के संपादक नरेश कौशल, साहित्यकार M.L.मैत्रये और डॉ.चन्द्र तिरखा की उपस्थिति में किया|